आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे लडकी से ज्यादा शादी मे खर्च लडके के पिता का होता है फिर भी तमाम यातनाएं झेलता है इस पोस्ट को पूरी पढऩे के लिए नीचेदीगई लिक पर क्लिक करें-डा०-दिनेश कुमार शर्मा एडीटर एम.बी.न्यूज-24***

आज के बदलते समय मे बेटियों से ज़्यादा लड़कों के पिता शादी के क़र्ज़दार हो रहे है बेटी के बाप को बेटी की तो बस एक दिन की शादी का खर्चा करना होता है जिसमें टेंट, खाना पीना, बेटी को दान दहेज जो ज़्यादातर दूल्हे वाले अब माँगते ही नही क्यों की दहेज के झूठे मुक़दमे भी बहुत हो रहे है लेकिन फिर भी लड़की का बाप देता है अपनी इज्जत बचाने के लिए।

लेकिन बेटे के बाप को 3 अलग-अलग दिन का खर्चा करना पड़ता है…

1. लड़के के पिता का पहला सगाई का खर्चा जिसमें खाना पीना, व टेंट और डेकोरेशन, उसके बाद सभी रिश्तेदारों को मिठाई भी दी जाती है जो कम से 200-250 किलो से कम नही होती, सगाई के लिए कम से कम एक अंगूठी ये पहला खर्चा होता है एक लड़के के पिता का जो वो अपनी हासियत अनुसार करता है क्यों कि अभी अन्य 2 बड़े खर्चे भी बाक़ी है ।

2. उसके बाद पिता का दूसरा बड़ा शादी वाले दिन बारात का खर्चा जिसमें सभी बारातियों को लाने ले जाने की व्यवस्था व उनको खिलाने की भी व्यवस्था, बारात में बैंड बाजे की व घोड़ी या बग्गी की व्यवस्था जो अब 1 लाख से कम नही होती, उसके बाद शादी वाले ही दिन फेरो से पहले होने वाली बहु को कम से कम 10-15 तोले सोने के ज़ेवर व उसके लिए 11-21 साड़ियाँ जो कि प्रत्येक साड़ी कम से कम 2-3 हज़ार की होती है, व कुछ अन्य क़ीमती उपहार व अन्य कपड़े।
(ये सब देने के बाद भी भगवान ना करे कि यदि शादी टूट जाए तो ये सब ज़ेवर और साड़ियाँ व वो सब उपहार बहु से वापस नही लिया जाता क्यों कि क़ानूनी रूप में वो स्त्रीधन होता है जो तलाक़ होने के बाद वापस नही ले सकते)

3. और शादी के बाद एक रिसेप्शन पार्टी का खर्चा जिसमें दूल्हे के रिश्तेदार व दुल्हन के भी रिश्तेदार सबको बुलाया जाता है जिसमें खाना पीना व टेंट या बेंकुएट हॉल करना पड़ता है उसके बाद सभी रिश्तेदारों को फिर से मिठाई भी दी जाती है जो कम से 200-250 किलो से कम नही होती, ये खर्चा भी लड़के का पिता ही ख़ुशी-ख़ुशी करता है।

कुल 3 फंशन का खर्चा होता है एक लड़के के पिता पर जो कि लगभग 10-15 लाख के क़रीब का बोझ होता है एक लड़के के पिता पर और ये पैसा लड़के का पिता किसी पेड़ से नही तोड़ कर लाता और ना किसी कारख़ाने से रातों रात छाप कर लाता है, ये पैसा भी मेहनत का कमाया हुआ होता है या फिर क़र्ज़ लिया हुआ होता है, सिर्फ़ इज्जत के लिए यही सोच कर कि बेटे की शादी ज़िंदगी में एक बार होती है बार बार नही ।

और उसके बाद भी लड़के के पिता को ये पता नही होता कि जिस बेटे की शादी के लिए वो 3 अलग-अलग दिन में इतना खर्चा कर चुके है उसकी शादी के बाद वही बहु शायद उनके बेटे को भी उनसे छीन सकती है
या उनसे अलग कर सकती है या फिर झूठे दहेज के मुक़दमों में फँसा भी सकती है जिसमें सिर्फ़ उस बहु की ही सुनवायी होगी जिसके मान-सम्मान के लिए लड़के के पिता ने बहुत धूम-धाम से और दिल खोल कर खर्चा किया।
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ऊपर लिखी बातों में यदि कुछ ग़लत लिखा हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ क्यों कि मेरा उद्देश्य किसी की माँ बहन व बेटी या किसी परिवार की इज्जत उछालना नही है किंतु ये समाज इस सचाई से परिचित नही है और ये एक कटु सत्य है।

ये समाज सिर्फ़ बेटी के बाप की और उसके क़र्ज़दार होने की फ़िकर करती है, किसी बेटे के पिता की नही।

किसी लड़के के पिता से भी पूछो एक बार कि घर में लक्ष्मी के रूप में बहु लाने के लिए कितना पैसा खर्च हुआ है उसका.

जिस दिन लड़के के पिता बन कर लड़के की शादी करोगे उस दिन पता चलेगा कि क़र्ज़ के बोझ तले लड़के का पिता भी होता है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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