एक बूढ़ी माँ के बेटे ने घर पर आकर अपने मन मे ठान ही लिया कि चलो आज बूढी माँ को बृद्धाश्रम दिखाही लाता हूँ। तो उसके बड़े बेटे ने अपनी पत्नी से कहा तो ७५ वर्षीय सावित्रीदेवी भौंचक हो कर बेटे का चेहरा देखने लगीं। बेटे के चेहरे पर गंभीरता थी बोला “ माँ एक नयावृद्धाश्रम बना है, जल्दी से तैयार हो जाओ, आज आपको वहाँ की सब सुख- सुविधाएँ दिखा लाता हूँ , कोई कमी हो तो आप बता देना फिर कल तो जाना ही है”।
जब छोटे बेटे ने भी बड़े की हाँ में हाँ मिलाई तो उन्हे और भी घोर आश्चर्य हुआ।
सावित्री देवी को विश्वास नहीं हो रहा था अपने कानों पर ! मुझे वृद्धाश्रम भेजा जा रहा है?क्या हुआजो कभी-कभी ग़ुस्से में मैं बोल देती हूँ कि नही अच्छा लगता अब मेरा बोलना तो वृद्धाश्रम भेज दो मुझे! इसका मतलब क्या ये लोग सच में मुझे वृद्धाश्रम भेज देंगे? क्या ये वही बेटा है जो परिवार के कठिनसमय में कहता था- “ माँ बस एक बार पैसा कमाना शुरू करने दो मुझे, देखना फिर आपको कभीकाम करने की जरुरत नहीं पड़ेगी, दुनियाभर के सारे आराम दूँगा आपको“ । बड़े बेटे की ये बातेंसुनकर छोटा भी अपनी तुतलाती ज़बान में बोलता -“ औल मैं बी”!
बेटों की इन बातों को सुन सुन कर सावित्री देवी निहाल-निहाल हुई जाती और फिर दुगनी उर्जा केसाथ काम में जुट जाती।
आज उन्ही बेटों का दोहरा चेहरा सामने आ रहा था।
मदनगोपाल जी की मृत्यु के बाद सावित्री देवी ने अपने जीवन में बहुत ही कठिन परिस्थितियों कासामना करते हुए बहुत मेहनत से अपने चारों बच्चों को पढ़ा-लिखा कर लायक़ बनाया था। आज दोनोंबेटियाँ अपने अपने परिवार में सुखी थीं । बेटे भी अच्छा व्यवसाय कर अपना अपना परिवार बढ़िया सेचला रहे थे।