आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे-
*एक चुप सौ सुख और लगातार प्रभु मंत्र का जाप…… बहुत ही सर्वश्रेष्ठ मूल महामंत्र जीवन का सार*
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*परमात्मा हर वक्त आपके साथ हैं l आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि वह आपको कब, कहां और कैसे – कैसे बचाता है l लेकिन आप फिर भी जब भी आपको कोई मौका मिलता है
गिला – शिकवा करने से नहीं चूकते l एक बात मन में बिठा लें, कि जो भी हो रहा है, उसके पीछे कोई न कोई कारण है जिसमें निश्चित आपकी ही कोई भलाई छिपी है l
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इसलिए हर तरह की ज़िद छोड़कर जो भी जैसा भी हो रहा है, उसे ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करें l*
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एक मछलीमार काँटा डालकर तालाब के किनारे बैठा था ! काफी समय बाद भी कोई मछली काँटे में नहीं फँसी, ना ही कोई हलचल हुई , तो वह सोचने लगा… कहीं ऐसा तो नहीं कि मैंने काँटा गलत जगह डाला है, यहाँ कोई मछली ही न हो ! उसने तालाब में झाँका तो देखा कि उसके काँटे के आसपास तो बहुत-सी मछलियाँ थीं ! उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी मछलियाँ होने के बाद भी कोई मछली फँसी क्यों नहीं ?
एक राहगीर ने जब यह नजारा देखा , तो उससे कहा ~ लगता है भैया ! यहाँ पर मछली मारने बहुत दिनों बाद आए हो ! अब इस तालाब की मछलियाँ काँटे में नहीं फँसतीं मछलीमार ने हैरत से पूछा
क्यों … ऐसा क्या है यहाँ ?
राहगीर बोला ~ पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत ठहरे थे ! उन्होने यहाँ मौन की महत्ता पर प्रवचन दिया था ! उनकी वाणी में इतना तेज था कि जब वे प्रवचन देते तो सारी मछलियाँ भी बड़े ध्यान से सुनती !
यह उनके प्रवचनों का ही असर है , कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फँसाने के लिए काँटा डालकर बैठता है , तो ये मौन धारण कर लेती हैं !
जब मछली मुँह खोलेगी ही नहीं , तो काँटे में फँसेगी कैसे ? इसलिए … बेहतर यहीं होगा कि, आप कहीं और जाकर काँटा डालो ।
परमात्मा ने हर इंसान को दो आँख, दो कान, दो नासिका, हर इन्द्रिय दो-दो ही प्रदान करी हैं , लेकिन जिह्वा एक ही दी है !
क्या कारण रहा होगा ?
क्योंकि यह एक ही अनेकों भयंकर परिस्थितियाँ पैदा करने के लिये पर्याप्त है !
संत ने कितनी सही बात कही है , कि,
जब मुँह खोलोगे ही नहीं , तो फँसोगे कैसे ?
ऐसे ही, जो,
अगर इन्द्रिय पर संयम करना चाहते हैं , तो,इस जिह्वा पर नियंत्रण कर लो तो, बाकी सब इन्द्रियाँ स्वयं नियंत्रित रहेंगी !
यह बात हमें भी अपने जीवन में उतार लेनी चाहिए !
एक चुप सौ सुख और लगातार प्रभु मंत्र का जाप।
हरि हरि बोल
सतयुग में ध्यान
त्रेता में यज्ञ
द्वापर में पूजन
और कलयुग में महामंत्र का जप करने मात्र से ही जीवों का उद्धार हो जाएगा।
*सदा जपे महामंत्र*
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे