*💐_”सद्गुरु की चाय “।_*💐
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*एक बार गुरुजी सत्संग करके आ रहे थे।*
*_रास्ते में गुरुजी का मन चाय पीने को हुआ।_*
*_उन्होंने अपने ड्राइवर को कहा:_*
*_“भैया ,हमे चाय पीनी है।”_*
*_ड्राइवर ने गाड़ी 5 स्टार होटल के आगे खड़ी कर दी।_*
*_गुरुजी ने कहा:_*
*_“नहीं आगे चलो यहाँ नहीं।”_*
*_फिर ड्राइवर ने गाड़ी किसी होटल के आगे खड़ी कर दी।_*
*_गुरूजी ने वहां भी मना कर दिया।_*
*_काफी आगे जाकर एक छोटी सी ढाबे जैसी दुकान आई।_*
*_गुरूजी ने कहा:_*
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*_“यहाँ रोक दो- यहाँ पर पीते हैं चाय!”_*
*_ड्राइवर सोचने लगा- कि अच्छे से अच्छे होटल को छोड़ कर गुरुजी ऐसी जगह चाय पीएंगे…?_*
*_खैर वो कुछ नहीं बोला।_*
*_ड्राइवर चाय वाले के पास गया और बोला:_*
*_“भैया एक अच्छी सी चाय बना दो।”_*
*_जब दुकानदार ने पैसों वाला गल्ला खोला- तो उसमे गुरूजी का स्वरूप फोटो लगा हुआ था।_*
*_गुरूजी का स्वरूप देख कर ड्राइवर ने दुकानदार से पूछा:_*
*_“तुम इन्हें जानते हो, कभी देखा है इन्हें?”_*
*_तो दुकानदार ने कहा:_*
*_“मैंने इनके दर्शन के लिए जाने वास्ते पैसे इकट्ठे किये थे।_*
*_लेकिन वो चोरी हो गए,और मैं नहीं जा पाया।_*
*_पर मुझे यकीन है- कि गुरूजी मुझे यहीं आ कर मिलेंगे।”_*
*_अब तो ड्राइवर का मन गुरुजी के प्रति श्रद्धा से भर गया,उसने तत्काल चाय का प्याला वापस रखा- और दुकानदार से कहा:_*
*_“ भैया जाओ और चाय उस कार मैं दे कर आओ।”_*
*_तो दुकानदार बोला:_*
*_“अगर मैं चाय देने के लिए चला गया- तो कहीं फिर से मेरे पैसे चोरी न हो जायें।”_*
*_तो ड्राइवर ने कहा:_*
*_“चिंता मत करो- अगर ऐसा हुआ- तो मैं तुम्हारे पैसे अपनी जेब से दूंगा।”_*
*_दुकानदार चाय, कार मैं देने के लिए चला गया।_*
*_जब वहां उसने गुरुजी को देखा तो हैरान हो गया।_*
*_आँखों में आंसू देखे तो गुरू जी ने कहा:_*
*_“तूने कहा था- कि मैं तुम्हे यहीं मिलने आऊं और अब मैं तुमको मिलने आया हूँ- तो तुम रो रहे हो।”_*
*_इतना प्यार था उस आदमी के अन्दर आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।_*
*_जब मन सच्चा हो- और इरादे नेक हो तो भगवन को भी आना पड़ता है, अपने भगत के लिए।_*
हृऐराम हरे राम।।*
*।।हर हर महादेव।।*