*परमात्मा*
*प्रभु जी, एक बार एक घर में किसी की मृत्यु हो गई* घर के सब लोग रोने लगें. 😭
*तभी एक साधु का आगमन हुआ,* उसने कहा, तुम सब क्यों रो रहें हो. ❓
*एक बच्चे ने कहा,* मेरे पिता जी चले गए.
*कन्या बोली,* मेरे पति देव चले गए, *माता पिता बोले,* हमारा पुत्र चला गया.
*एक ही व्यक्ति गया है* परन्तु सबके अलग अलग सम्बंध है
*सो साधु ने पूछा,* कहा चला गया है ❓
*तो सब ने कहा,* हमें छोड़ कर चला गया है
*साधु ने फिर कहा,* येही तो पूछ रहा हूं *कहा चला गया.*
*सो कहा, भगवान के पास चला गया.*
*साधु ने कहा, अच्छा…* वह कैसा दिखता था.❓
*सो उत्तर दिया,* उनके छोटे छोटे नेत्र थे, लम्बे बाल थे, गौरा रँग था…
*साधु ने कहा, यह जो सामने लेटा हुआ है येही तो नही है…*❓ सब ने कहा, हां येही तो है.
*साधु बोला,* यह तो सामने पड़ा है *फिर चला कौन गया.*❓
*सो बोले, यह तो सामने पड़ा है हम जानते है* परन्तु जो इसके भीतर था *वह चला गया है.*
*सो साधु बोला, अच्छा,* तो जो इसके भीतर था, उसे तुमने कभी देखा था.❓
*बोले नही,* उसको तो कभी नही देखा.
*साधु बोला, तो फिर रो काहे रहें हो*
*जिंसके लिए तुम रो रहें हो, वो तुम्हारे सामने पड़ा है* पर इससे तुम्हारा सम्बंध नही है और तुम्हारा सम्बंध तो भीतर वाले से है जिसे तुमने कभी देखा नहीं… *फिर रो क्यों रहे हो.*
*और वास्तविकता येही है प्रभु जी,* हम किसी की मृत्यु पर शौक, उस व्यक्ति के लिए नही करते जो सामने पड़ा रहता है, बल्कि हमारी आत्मा इसलिए रोती है कि हमनें पूरा जीवन इस व्यक्ति के साथ बिताया, और हम यह नही समझ पाए, यह हमारा कभी था ही नही, *हमारा तो वो था, जो इसके भीतर था.*
*और इसके भीतर कौन था… जानते है प्रभु जी. वो परमात्मा था.*
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सतयुग में ध्यान
त्रेता में यज्ञ
द्वापर में पूजन
और कलयुग में महामंत्र का जप करने मात्र से ही जीवों का उद्धार हो जाएगा।
*सदा जपे महामंत्र*
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे