आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे कि भगवान से अपना सम्वन्ध बनाने का प्रयास करें भगवान केवल भाव के भूखे है इस लेख को पूरा पढने के लिए नीचेदीगई लिक पर क्लिक करें-डा०-दिनेश कुमार शर्मा एडीटर एम.बी.न्यूज-24💐💐💐💐💐

*भगवान् से सम्बन्ध बनाने का प्रयास करें –
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एक संत थे वे भगवान राम को अपना आराध्य मानते थे कहते है यदि आपको भगवान् निकट आना है तो उनसे कोई रिश्ता जोड़ लो. जहाँ जीवन में कमी है वही ठाकुर जी को बैठा दो, वे जरुर उस सम्बन्ध को निभायेगे,
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इसी तरह संत भी भगवान् प्रभु श्रीराम को अपना शिष्य मानते थे और शिष्य पुत्र के समान होता है इसलिए माता सीता को वे पुत्र वधु (बहू) के रूप में देखते थे.।
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उनका ये नियम था कि वे रोज मंदिर जाते और अपनी पहनी हुई माला भगवान् को पहनाते थे, पर उन की यह बात मंदिर के लोगो को अच्छी नहीं लगती थी. तो वहां के उपस्थित लोगों ने एक दिन उस मन्दिर के पुजारी से कहा
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कि देखिए ये बाबा रोज मंदिर आते है और भगवान् को अपनी उतारी हुई माला पहनाते है, कोई तो बाजार से खरीदकर माला भगवान् को पहनाता है और ये अपनी पहनी हुई माला भगवान् को पहनाते है. तो इस समवन्ध मे मन्दिर के उस
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पुजारी जी को सबने भड़काया कि बाबा की पहनी हुई माला आज भगवान् को मत पहनाना, अब जैसे ही बाबा मंदिर आये और पुजारी जी को माला उतार कर दी, तो आज पुजारी जी ने माला भगवान् को पहनाने से इंकार कर दिया.
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और कहा यदि आपको माला पहनानी है तो बाजार से नई माला खरीदकर लेकर आये । ये पहनी हुई माला ठाकुर जी को नहीं पहनाईं जायेगी ये बात सुनकर सँतजी तुरंत
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बाजार गए और नई माला लेकर आये, आज संत मन में बड़े ही उदास थे, अब जैसे ही पुजारी जी ने वह नई माला लेकर भगवान् श्री राम को पहनाई तुरंत वह माला टूट कर नीचे गिर गई , उन्होंने फिर जोड़कर पहनाई, माला फिर टूटकर गिर पड़ी,
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ऐसा तीन-चार बार किया गया पर भगवान् ने वह माला स्वीकार नहीं की. तब पुजारी जी समझ गए कि मुझसे बहुत बड़ा अपराध हो गया है. और पुजारी जी ने बाबा से क्षमा माँगी.
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संत सीता जी को बहू मानते थे इसलिए जब भी मंदिर जाते पुजारी जी सीता जी के विग्रह के आगे पर्दा कर देते थे, भाव ये होता था कि बहू ससुर के सामने सीधे कैसे आये,
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और बाबा केवल राम जी का ही दर्शन करते थे जब भी बाबा मंदिर आते तो बाहर से ही आवाज लगाते पुजारी जी हम आ गए और पुजारी जी झट से सीता जी के आगे पर्दा कर देते थे * ।
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एक दिन बाबा ने बाहर से आवाज लगायी पुजारी जी हम आ गए, उस समय पुजारी जी किसी दूसरे काम में लगे हुए थे,
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उन्होंने सँतजी की आवाज को सुना नहीं, तब सीता जी तुरंत अपने विग्रह से बाहर आई और अपने आगे पर्दा कर दिया. जब बाबा मंदिर में आये, और पुजारी ने उन्हें देखा तो बड़ा आश्चर्य हुआ और सीता जी के विग्रह की ओर देखा तो पर्दा लगा है.
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पुजारी बोले – बाबा ! आज आपने आवाज तो लगायी ही नहीं ?
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बाबा बोले – पुजारी जी ! मै तो रोज की तरह आवाज लगाने के बाद ही मंदिर में आया. तब बाबा समझ गए कि सीता जी स्वयं जोकि अपना आसन छोड़कर आई और उन्हें मेरे लिए इतना कष्ट उठाना पड़ा. आज से हम इस मंदिर में प्रवेश ही नही करेंगे.
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अब बाबा रोज मंदिर के सामने से निकलते और बाहर से ही आवाज लगाते अरे चेला राम तुम्हे आशीर्वाद है सुखी रहो और चले जाते.
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सच है भक्त का भाव ठाकुर जी रखते है और उसे निभाते भी है.
*जब तें प्रभु पद पदुम निहारे।*
*मिटे दुसह दुख दोष हमारे।।*
*।।जय जय श्री राम।।*
*।।हर हर महादेव।।*

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