आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे आज की कहानी इसे पूरी पढने के लिए नीचेदीगई लिक पर क्लिक करें-डा०-दिनेश कुमार शर्मा चीफ एडीटर एम.बी.न्यूज-24💐💐💐💐💐

*💐आज की कहानी💐*

एक समय मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को पृथ्वी पर भेजा ;  जहाँ पर एक स्त्री मर गयी थी, वहां से उस स्त्री की आत्मा को लाना था।

देवदूत आया, चिंता में पड़ गया क्योंकि तीन छोटी-छोटी लडकियाँ –एक अभी भी उस मृत स्त्री से लगी है। एक चीख, पुकार रही है। तीन छोटी जुड़वां बच्चियाँ और स्त्री मर गयी कोई देखने वाला नहीं पति पहले मर चुका है परिवार में और कोई भी नहीं है।

वह खाली हाथ वापस लौट गया और अपने प्रधान से कहा कि मैं नही ला सका, मुझे क्षमा करें, आपको स्थिति का पता नहीं है। तीन जुड़वां बच्चियां दूध पीती।
क्या यह नहीं हो सकता कि इस स्त्री को कुछ दिन और जीवन के दे दिए जाएं? कम से कम लड़कियां थोड़ी बड़ी हो जाएँ।

मृत्यु के देवता ने कहा, तो तू समझदार हो गया; उससे ज्यादा,जिसकी मर्जी से मौत होती है,या जीवन होता है !
तो तूने पहला पाप कर दिया, और इसकी तुझे सजा मिलेगी और तुझे पृथ्वी पर जाना पड़ेगा और जब तक तू तीन बार हँस ना ले अपनी मूर्खता पर, तब तक वापस नही आ सकेगा।

*इसे समझना तीन बार हँसना अपनी मूर्खता पर–क्योंकि दूसरे की मूर्खता पर तो अहंकार हँसता है लेकिन जब तुम अपनी मूर्खता पर हँसते हो तब अहंकार टूटता है*।

देवदूत राजी हो गया क्योंकि उसे लगा कि सही तो मैं ही हूँ तो हँसने का मौका कैसे आएगा?

उसे रूस की जमीन पर फेंक दिया गया।
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एक चमार, सर्दियों के दिन आ रहे थे इसलिये बच्चों के लिए कपडे खरीदने शहर जा रहा था, तो उसने राह के किनारे एक नंगे आदमी को पड़े हुए, ठिठुरते हुए देखा।
यह नंगा आदमी वही देवदूत है जो पृथ्वी पर फेंक दिया गया था।
उस चमार को दया आयी और अपने बच्चों के कपड़े खरीदने के बजाय उसने इस आदमी के लिए कपड़े खरीद लिए और चूंकि इस व्यक्ति के पास कुछ भी नही था तो चमार ने कहा तुम मेरे साथ ही आ जाओ। लेकिन मेरी पत्नी नाराज हो चिल्लाए, तो तुम परेशान मत होना थोड़े दिन में सब ठीक हो जाएगा।

जैसे ही देवदूत को ले कर चमार घर में पहुँचा, पत्नी एकदम पागल हो गयी बहुत चीखी- चिल्लायी और देवदूत पहली दफा हँसा चमार ने उससे कहा, हँसते हो, बात क्या है? उसने कहा, मैं जब तीन बार हँस लूंगा तब बता दूंगा।

देवदूत हँसा क्योंकि उसने देखा कि इस पत्नी को पता ही नहीं है कि चमार देवदूत को घर में ले आया है, जिसके आते ही घर में हजारों खुशियाँ आ जाएंगी। लेकिन आदमी कितनी दूर देख सकता है ! पत्नी तो यही देख पा रही है कि बच्चों के कपड़े नहीं आये जो खोया है वह देख पा रही है, जो मिला है उसका उसे अंदाजा ही नहीं है–घर में देवदूत के आते ही हजारों खुशियां आ गई !
क्योंकि वह देवदूत था, सात दिन में ही उसने चमार सब काम सीख लिया और उसके जूते इतने प्रसिद्ध हुए कि चमार महीनों में ही धनी होने गया। आधा साल होते-होते उसकी प्रसिद्धि हो गयी कि उस जैसा जूते बनाने वाला कोई भी नहीं सम्राटों के जूते वहाँ बनने लगे। धन बरसने लगा एक दिन सम्राट का आदमी आया और कहा कि यह चमड़ा बहुत कीमती है, कोई भूल-चूक नहीं करना और ध्यान रखना जूते बनाने हैं, स्लीपर नहीं ( रूस में जब कोई आदमी मर जाता है तब उसको स्लीपर पहना कर मरघट तक ले जाते हैं )

लेकिन फिर भी देवदूत ने स्लीपर ही बनाए-

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जब चमार ने देखा स्लीपर बने हैं तो वह क्रोधित होकर लकड़ी उठा उसे मारने को तैयार हो गया कि तू हमारी फांसी लगवा देगा ! तुझे कहा था कि स्लीपर बनाने ही नहीं हैं, फिर स्लीपर किसलिए? देवदूत फिर खिलखिला कर हँसा।
तभी आदमी सम्राट के घर से भागा हुआ आया। उसने कहा, जूते मत बनाना, स्लीपर बनाना क्योंकि सम्राट की मृत्यु हो गयी है।

भविष्य अज्ञात है सिवाय उसके और किसी को ज्ञात नहीं और आदमी तो अतीत के आधार पर निर्णय लेता है। सम्राट जिंदा था तो जूते चाहिए थे, मर गया तो स्लीपर चाहिए।

तब वह चमार उसके पैर पकड़ कर माफी मांगने लगा पर उसने कहा, कोई बात नहीं मैं अपना दण्ड भोग रहा हूँ। लेकिन वह हँसा आज दुबारा चमार ने हंसी का कारण पूछा उसने कहा कि जब मैं तीन बार हँस लूं…।

दुबारा हँसा इसलिए कि भविष्य हमें ज्ञात नहीं है। इसलिए हम आकांक्षाएं करते हैं जो कि कभी पूरी न होंगी। हम मांगते हैं जो कभी नहीं घटेगा क्योंकि कुछ और ही घटना तय है हमसे बिना पूछे हमारी नियति घूम रही है और हम व्यर्थ ही बीच में शोरगुल मचाते हैं। *चाहिए स्लीपर और हम जूते बनवाते हैं* ।
अब देवदूत को लगा कि वे बच्चियाँ ! मुझे क्या पता, उनका भविष्य क्या होने वाला है, मैं नाहक बीच में आया।

तीसरी घटना घटी कि एक दिन तीन लड़कियाँ उन तीनों की शादी हो रही थी और उन तीनों ने जूतों के आर्डर दिए कि उनके लिए जूते बनाए जाएँ एक बूढ़ी महिला उनके साथ आयी थी जो बड़ी धनी थी। देवदूत पहचान गया, ये वे ही तीन लड़कियाँ हैं, जिनको वह मृत माँ के पास छोड़ आया था और जिनकी वजह से वह दंड भोग रहा है। उसने पूछा कि क्या हुआ, यह बूढ़ी औरत कौन है? उस बूढ़ी औरत ने कहा कि ये मेरी पड़ोसिन की लड़कियाँ हैं गरीब औरत थी, उसके शरीर में दूध भी न था, पैसे-लत्ते भी नहीं थे और तीन बच्चे

जुड़वां वह इन्हीं को दूध पिलाते-पिलाते मर गयी। लेकिन मुझे दया आ गयी, मेरे कोई बच्चे नहीं हैं, और मैंने इन तीनों बच्चियों को पाल लिया।

अगर माँ जिंदा रहती तो ये तीनों बच्चियाँ गरीबी,भूख और दरिद्रता में बड़ी होतीं। माँ मर गयी, इसलिए ये बच्चियाँ तीनों बहुत बड़े धन-वैभव , सम्पदा में पलीं और अब उस बूढ़ी की सारी संपदा की ये ही तीन मालिक हैं और इनका सम्राट के परिवार में विवाह हो
रहा है।

देवदूत तीसरी बार हँसा और चमार को उसने कहा कि ये तीन कारण हैं। *भूल मेरी थी नियति बड़ी है और हम उतना ही देख पाते हैं, जो नहीं देख पाते, बहुत विस्तार है उसका और हम जो देख पाते हैं उससे हम कोई अंदाज नहीं लगा सकते, जो होने वाला है, जो होगा*। मैं अपनी मूर्खता पर तीन बार हँस लिया हूँ अब मेरा दण्ड पूरा हो गया और अब मैं जाता हूँ।

तुम अगर अपने को बीच में लाना बंद कर दो, तो तुम्हें मार्ग मिल जायेगा फिर असंख्य मार्गों की चिंता नही करनी पड़ेगी।

छोड़ दो उस पर, वह जो करवा रहा है, जो अब तक करवाया, उसके लिए धन्यवाद। जो अभी करवा रहा है, उसके लिए धन्यवाद।
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*राम रक्षा स्तोत्र मंत्र*-
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*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है- वही पर्याप्त है!!*

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