आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे-
*”भगवद् गीता”* के बारे मे आवश्यक जानकारी- डा०-दिनेश कुमार शर्मा एडीटर एम.बी.न्यूज-24💐💐💐💐💐💐
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1- जब हम पहली बार भगवद् गीता पड़ते हैं। तो हम एक अन्धे ब्यक्ति के रूप में पड़ते हैं। और बस इतना ही समझ में आता है कि कौन किसके पिता, कौन किसकी बहन,और कौन किसका भाई। बस इससे ज्यादा कुछ समझ मे नहीं आता।
2- जब हम दूसरी बार भगवद् गीता पड़ते हैं, तो हमारे मन में सवाल जागते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया या उन्होंने वैसा क्यों किया।
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3- जब हम तीसरी बार भगवद् गीता को पड़ेगें, तो हमे धीरे-धीरे उसके मतलव समझमे आने शुरू हो जायेंगे। लेकिन हर एक को वो मतलव अपने तरीके से ही समझमें आयेंगे।
4- जब चोथी बार हम भगवद् गीता को पड़ेगे, तो हर एक कैरेक्टरस की जो भावनायें हैं, इमोशन… उसको आप समझ पायेगें। कि किसके मन में क्या चल रहा है। जैसे अर्जुन के मन में क्या चल रहा है या दुर्योधन के मन में क्या चल रहा है। इसको हम समझ पाएंगे।
5- जब पाँचवी बार हम भगवद् गीता को पड़ेगे तो पूरा कुरूश्रेत्र हमारे मन में खड़ा होता है। तैयार होता है, हमारे मन में अलग-अलग प्रकार की कल्पनायें होती हैं।
6- जब हम छठी बार भगवद् गीता को पड़ेते हैं, तब हमें ऐसा नही लगता की हम पड़ रहें हैं। हमे ऐसा ही लगता है कि कोई हमे ये बता रहा है।
7- जब सातवी बार भगवद् गीता को पड़ेगे, तब हम अर्जुन बन जाते हैं और ऐसा ही लगता है कि सामने वो ही भगवान हैं, जो मुझे ये बता रहें हैं।
8- और जब हम आठवी बार भगवद् गीता पड़ते हैं, तब यह एहसास होता है कि कृष्ण कहीं बाहर नही हैं। वो तो हमारे अन्दर ही हैं और हम उनके अन्दर हैं।
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*जब हम आठ बार भगवद् गीता पड़ लेगें तब हमे गीता का महत्व पता चलेगा | की इस संसार में भगवद् गीता से अलग कुछ है ही नहीं। और इस संसार में भगवद् गीता ही हमारे मोक्ष् का सबसे सरल उपाय है। भगवद् गीता में ही मनुष्य के सारे प्रश्नो के उत्तर लिखें हैं। जो प्रश्न मनुष्य ईश्वर से पूछना चाहता है। वो सब गीता में सहज ढंग से लिखें हैं। मनुष्य की सारी परेशानियो के उत्तर भगवद् गीता में लिखें हैं गीता अमृत है।*
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सतयुग में ध्यान
त्रेता में यज्ञ
द्वापर में पूजन
और कलयुग में महामंत्र का जप करने मात्र से ही जीवों का उद्धार हो जाएगा।
*सदा जपे महामंत्र*
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे