आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे निमित्त होने का घमंड कैसा इस लेख को पूरा पढने के लिए नीचेदीगई लिक पर क्लिक करें-डा०-दिनेश कुमार शर्मा एडीटर एम.बी.न्यूज-24💐💐💐💐

*”‘निमित्त होने का घमंड कैसा? ”*——
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एक लकड़हारा रात-दिन लकड़ियां काटता, मगर कठोर परिश्रम के बावजूद उसे आधा पेट भोजन ही मिल पाता था।
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एक दिन उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। लकड़हारे ने साधु से कहा कि जब भी आपकी प्रभु से मुलाकात हो जाए, मेरी एक फरियाद उनके सामने रखना और मेरे कष्ट का कारण पूंछना।


कुछ दिनों बाद उसे वह साधु फिर मिला।

लकड़हारे ने उसे अपनी फरियाद की याद दिलाई तो साधु ने कहा कि- “प्रभु ने बताया हैं कि लकड़हारे की आयु 60 वर्ष हैं और उसके भाग्य में पूरे जीवन के लिए सिर्फ पाँच बोरी अनाज है। इसलिए प्रभु उसे थोड़ा अनाज ही देते हैं ताकि वह 60 वर्ष तक जीवित रह सके।”

समय बीता। साधु उस लकड़हारे को फिर मिला
तो लकड़हारे ने कहा—

“ऋषिवर…!! अब जब भी आपकी प्रभु से बात हो तो मेरी यह फरियाद उन तक पहुँचा देना कि वह मेरे जीवन का सारा अनाज एक साथ दे दें, ताकि कम से कम एक दिन तो मैं भरपेट भोजन कर सकूं।”

अगले दिन लकड़हारे के घर पॉच बोरी अनाज पहुँच गया।

लकड़हारे ने प्रभु ने को धन्यवाद दिया कि उसकी फरियाद कबूल कर उसे उसका सारा हिस्सा भेज दिया है

उसने बिना कल की चिंता किए, सारे अनाज का भोजन बनाकर फकीरों और भूखों को खिला दिया और खुद भी भरपेट खाया।

लेकिन अगली सुबह उठने पर उसने देखा कि उतना ही अनाज उसके घर फिर पहुंच गया है। उसने फिर गरीबों को खिला दिया। फिर उसका भंडार भर गया।

यह सिलसिला रोज-रोज चल पड़ा और लकड़हारा लकड़ियां काटने की जगह गरीबों को खाना खिलाने में व्यस्त रहने लगा।

कुछ दिन बाद वह साधु फिर लकड़हारे को मिला तो लकड़हारे ने कहा—“ऋषिवर ! आप तो कहते थे कि मेरे जीवन में सिर्फ पाँच बोरी अनाज है, लेकिन अब तो हर दिन मेरे घर पाँच बोरी अनाज आ जाता है।”

साधु ने समझाया, “तुमने अपने जीवन की परवाह ना करते हुए अपने हिस्से का अनाज गरीब व भूखों को खिला दिया।

इसीलिए प्रभु अब उन गरीबों के हिस्से का अनाज तुम्हें दे रहे हैं।”

किसी को भी कुछ भी देने की शक्ति हम में है ही नहीं, हम देते वक्त ये सोचते हैं, कि जिसको कुछ दिया तो ये मैंने दिया।

दान, वस्तु, ज्ञान, यहाँ तक की अपने बच्चों को भी कुछ देते दिलाते हैं, तो कहते हैं मैंने दिलाया।

वास्तविकता ये है कि वो उनका अपना है आप को सिर्फ परमात्मा ने निमित्त मात्र बनाया है। ताकि उन तक उनकी जरूरतें पहुँचाने के लिये।– तो निमित्त होने का घमंड कैसा ??

सतयुग में ध्यान
त्रेता में यज्ञ
द्वापर में पूजन
और कलयुग में महामंत्र का जप करने मात्र से ही जीवों का उद्धार हो जाएगा।
*सदा जपे महामंत्र*
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

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