राधारानी की चोटी”*
***********************
राधाकुण्ड सेवा के दौरान श्री रूप गोस्वामीजी ने कई ग्रंथों की रचना की, एक दिन उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में राधारानी के बालों की चोटी की महिमा में लिखा कि-राधारानी के बालों की चोटी काले नाग की तरह है जो उनके कमर पर ऐसे लहराती है जैसे कोई काला विषधर भुजंग लहरा रहा हो। रूप गोस्वामी के बड़े भाई श्री सनातन गोस्वामी ने जब यह पढ़ा तो उन्होंने श्री रूप गोस्वानी को इसके लिए डांट लगाईं और कहा तुम्हें कोई बढ़िया उपमा नहीं मिली ? राधारानी की चोटी को तुम विषधर भुजंग कहते हो, इसमें तुरन्त सुधार करो।
यह आदेश देकर श्री सनातन गोस्वानी स्नान हेतु यमुनाजी की ओर चल दिए, मार्ग में एक वन पड़ा और वन में श्री सनातन गोस्वामी ने देखा कि वन के एक कोने में कुछ नवयुवतियाँ एक पेड़ में झूला बनाकर झूल रही हैं। एक नवयुवती झूले में बैठी थी एवं बाकी युवतियाँ उसे घेरे हुए थी और उसे झूला झुला रही थीं। सनातन गोस्वामी ने देखा कि जो नवयुवती झूला झूल रही है उसकी पीठ पर एक काला नाग चढ़ रहा है जो किसी भी समय उस नवयुवती को डस सकता है। सनातन गोस्वामी दौड़ते हुए उन नवयुवतियों की ओर भागे और जोर से चिल्लाए- ओ लाली जरा देखो तो तुम्हारी पीठ पर एक बड़ा ही भयंकर काला नाग चढ़ा जा रहा है सावधान रहो। किन्तु युवतियों ने उनकी आवाज नहीं सुनी और झूलने में व्यस्त रहीं। ‘
https://chat.whatsapp.com/BE3wUv2YB63DeY1hixFx55
दौड़ते हुए सनातन उन नवयुवतियों के निकट पहुँचे और फिर से उन्हें सावधान किया, उनकी आवाज सुनकर झूले में बैठी हुए अति सुन्दर नवयुवती ने झूले में बैठे-बैठे ही मुड़कर सनातन गोस्वामी को देखा और मुस्कुरा कर अपनी समस्त सखियों के साथ अन्तर्धान हो गई ।
सनातन उसी समय वापस मुड़े और रूप गोस्वामी के निकट जाकर बोले- “अपने लेखन में सुधार करने की कोई आवश्यकता नहीं है, तुमने ठीक ही लिखा है राधारानी की चोटी सचमुच काले नाग जैसी ही है।”
~~~०~~~
“जय जय श्री राधे ।
*।।जय जय श्री राम।।*
*।।हर हर महादेव।।*