आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे कर्मफल इस लेख को पूरा पढने के लिए नीचेदीगई लिक पर क्लिक करें-डा०-दिनेश कुमार शर्मा चीफ एडीटर एम.बी.न्यूज-24💐💐💐💐💐

*💐आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे एकज्ञान बर्धक कहानी💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐*******(**************((((********

*             💐कर्म का फल💐*

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सुदूर प्रदेश में एक नयासर नामक गांव था ! वह ऐसी जगह बसा था… जहाँ आने जाने के लिए एक मात्र साधन नाव थी ,क्योंकि बीच में नदी पड़ती थी और वहां जाने के लिए अन्य कोई रास्ता भी नहीं था.।

एक बार उस गाँव में महामारी फैल गई और बहुत सी मौते हो गयी, लगभग सभी लोग वहाँ से जा चुके थे।

अब कुछ ही गिने चुने लोग बचे थे और वो नाविक गाँव में बोल कर आ गया था कि मैं इसके बाद नहीं आऊँगा जिसको चलना है वो आ जाये।

सबसे पहले एक भिखारी आ गया और बोला मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है, मुझे अपने साथ ले चलो, ईश्वर आपका भला करेगा !

नाविक सज्जन पुरुष था। उसने कहा यहीं रुको यदि जगह बचेगी तो तुम्हें मैं ले जाऊँगा।

धीरे -धीरे करके पूरी नाव भर गई सिर्फ एक ही जगह बची !
नाविक भिखारी को बोलने ही वाला था कि एक आवाज आयी रुको मैं भी आ रहा हूँ ….।।

यह आवाज जमीदार की थी, जिसका धन-दौलत से लोभ और मोह देख कर उसका परिवार भी उसे छोड़कर जा चुका था।

अब सवाल यह था कि किसे लिया जाए,

जमीदार ने नाविक से कहा – मेरे पास सोना चांदी है , मैं तुम्हें दे दूँगा और भिखारी ने हाथ जोड़कर कहा कि भगवान के लिए मुझे ले चलो।।

नाविक समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ तो उसने फैसला नाव में बैठे सभी लोगों पर छोड़ दिया और वो सब आपस में चर्चा करने लगे।

इधर जमीदार सबको अपने धन का प्रलोभन देता रहा और उसने उस भिखारी को बोला ये सब कुछ तू ले ले, मैं तेरे हाथ पैर जोड़ता हूँ , मुझे जाने दे !

तो भिखारी ने कहा:- मुझे भी अपनी जान बहुत प्यारी है अगर मेरी जिंदगी ही नहीं रहेगी तो मैं इस धन दौलत का क्या करूँगा? जान है तो जहान है !

तो सभी ने मिलकर ये फैसला किया कि ये जमीदार ने आज तक हमसे लूटा ही है ब्याज पर ब्याज लगाकर हमारी जमीन अपने नाम कर ली और माना कि ये भिखारी हमसे हमेशा माँगता रहा पर उसके बदले में इसने हमें खूब दुआएं दी और इस तरह भिखारी को साथ में ले लिया गया !

बस यही सही फैसला है। *ईश्वर भी वही हमारे साथ न्याय करता है, जब अंत समय आता हैं , वो सारे कर्मों का लेखा- जोखा हमारे सामने रख देता है और फैसले उसी हिसाब से होते हैं , फिर रोना गिड़गिगिड़ाना काम नहीं आता ! शुभ कर्म ही साथ होते हैं ।*

*इसलिए अभी भी वक्त है- हमारे पास सम्भलने का और शुभ कर्म करने का , बाद में कुछ नहीं होगा।*

*शायद इसलिए कहा गया है.. अब पछताय होत क्या…जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत…।।*

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*राम रक्षा स्तोत्र मंत्र*

*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है- वही पर्याप्त है!!*

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