* 💐आज कीरोचक कहानी💐*
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किसी गाँव में एक दिन कुश्ती स्पर्धा का आयोजन किया गया । जिसमें हर साल की तरह इस साल भी दूर -दूर से बड़े-बडें पहलवान आये । उन पहलवानो में ऐक पहलवान ऐसा भी था, जिसे हराना सब के बस की बात नहीं थी। जाने-माने पहलवान भी उसके सामने ज्यादा देर टिक नही पाते थे।
स्पर्धा शुरू होने से पहले मुखिया जी आये और बोले , ” भाइयों , इस वर्ष के विजेता को हम 3 लाख रूपये इनाम में देंगे। “
इनाम की राशि इतनी बड़ी थी , कि पहलावन और भी जोश में भर गए और मुकाबले के लिए तैयार हो गए।कुश्ती स्पर्धा आरंभ हुई और वही पहलवान सभी को बारी-बारी से चित्त करता रहा । जब हट्टे-कट्टे पहलवान भी उसके सामने टिक ना पाये तो उसका आत्म-विश्वास और भी बढ़ गया और उसने वहाँ मौजूद दर्शकों को भी चुनौती दे डाली – ” है कोई माई का लाल जो मेरे सामने खड़े होने की भी हिम्मत करे !! तो वहीं पर खड़ा एक दुबला पतला व्यक्ति यह कुश्ती देख रहा था, पहलवान की चुनौती सुनकर उसने मैदान में उतरने का निर्णय लिया,और पहलावन के सामने जा कर खड़ा हो गया।
यह देखकर वह पहलवान उस पर हँसने लग गया और उसके पास जाकर कहा । क्यों वे क्या तू मुझसे लडेगा… तू होश में तो है ना । यह सुनकर उस दुबले पतले व्यक्ति ने अपनी चतुराई से काम लिया और उस पहलवान के कान मे कहा “अरे पहलवानजी मैं कहाँ आपके सामने टिक पाऊगां,आप ये कुश्ती हार जाओ मैं आपको ईनाम के सारे पैसे तो दूँगा ही और साथ में 3लाख रुपये और दूँगा,आप कल मेरे घर आकर सारे रुपये ले जाना। आपका क्या है , सब जानते हैं कि आप कितने महान हैं , एक बार आपके हारने से आपकी ख्याति कम थोड़े ही हो जायेगी यह सुनकर उस पहलवान ने अपना सिर हाँ मे हिला दिया ।उसके बाद
कुश्ती शुरू होती है ,पहलवान कुछ देर तक तो लड़ने का नाटक करता है और उसके बाद फिर हार जाता है। यह देख कर सभी लोग उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं और उसे घोर निंदा से गुजरना पड़ता है। उसके बाद अगले दिन वही पहलवान शर्त के पैसे लेने उस दुबले व्यक्ति के घर जाता है,और 6लाख रुपये माँगता है तब वह दुबला व्यक्ति बोलता है , ” भाई तुझे किस बात के पैसे चाहिए। तो वह पहलवान बोला
“अरे भाई वही जो तुमने मैदान में मुझसे देने का वादा किया था। “, पहलवान आश्चर्य से देखते हुए कहता है।
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तो वही दुबला व्यक्ति हँसते हुए बोला कि पहलवान जी वह तो मैदान की बात थी,जहाँ तुम अपने दाँव-पेंच लगा रहे थे और मैंने भी अपना दाव पेच तुम चला दिया लेकिन इस बार मेरे दांव-पेंच तुम पर भारी पड़े और मैं जीत गया। “
मित्रों , ये कहानी हमें सीख देती है कि थोड़े से पैसों के लालच में वर्षों के कड़े प्ररिश्रम से कमाई प्रतिष्ठा भी कुछ ही पलों में मिटटी मे मिल जातीं है और धन से भी हाथ धोना पड़ता है। अतः हमें कभी अपने नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से बच कर रहना चाहिए।
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*राम रक्षा स्तोत्र मंत्र*
*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है- वही पर्याप्त है!!*