आध्यात्मिक ज्ञान मे आज आप देखे निधिवन से जुड़ी एक कहानी इसे पूरी पढने के लिए नीचेदीगई लिक पर क्लिक करें-डा०-दिनेश कुमार शर्मा चीफ एडीटर एम.बी.न्यूज-24💐💐💐💐

 

💐 * निधिवन की कहानी*💐

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5200 वर्ष पूर्व वृन्दावन की धरा पर कान्हा जी ने राधारानी और गोपियों संग महारास किया था… द्वापरयुग से आज तक हर रात राधे-कृष्ण यहाँ साक्षात प्रकट होते है… निधिवन में स्थित 16108 वृक्ष गोपियों में तब्दील होकर रातभर कान्हा संग महारास रचाती है… सूरज की पहली किरण फूटने से पहले ही गोपियां वृक्ष का आकार ले लेती है.. और भगवान कृष्ण राधिका रानी के संग अन्तर्ध्यान हो जाते हैं।

एक बार कलकत्ता का एक भक्त अपने गुरु की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना मोहित हुआ कि वह हर समय वृन्दावन आने की सोचने लगा। उसके गुरु उसे निधि वन के बारे में बताते थे और कहते कि आज भी भगवान यहाँ रात्रि को रास रचाने आते है।
एक बार वृन्दावन जाने का निश्चय कर वह वृन्दावन पहुँच गया फिर उसने जीभर कर बिहारीजी  राधा रानी का दर्शन किया।

निधिवन की सच्चाई जानने के लिए वो वही पर रूक गयाऔर देर तक बैठा रहा ; जब शाम होने को आई तब एक पेड़ की लता की आड़ में छिप गया।
जब शाम को पुजारी निधिवन को खाली कराने लगे तो उनकी नज़र उस भक्त पर पड गयी और उसे जाने को कहा तब तोवो चला गया लेकिन अगले दिन फिर से जाकर छिप गया लेकिन पुनः पुजारियों द्वारा निकाला गया तब उसने निधिवन में एक ऐसा कोना खोज निकाला जहाँ उसे कोई न ढूंढ़ पाये वो सारी रात वही निधिवन में बैठा रहा।प्रातः जब सेविकाएँ निधिवन में सफाई करने आई तो पाया कि एक व्यक्ति बेसुध पड़ा हुआ है और उसके मुख से झाग निकल रहा है।
तब उन सेविकाओ ने सबको बताया तो लोगो कि भीड़ वहाँ एकत्र हो गयी सभी ने उस व्यक्ति से बोलने की कोशिश की लेकिन वो कुछ भी नहीं बोल रहा था।
वो तीन दिन तक बिना कुछ खाए पीये बेसुध पड़ा रहा और पाँचवे दिन उसके गुरु जो गोवर्धन रहते थे बताया गया !

गुरूजी जाकर उसे अपने साथ गोवर्धन आश्रम में ले आये। आश्रम में भी वो ऐसे ही रहा और एक दिन सुबह-सुबह उस व्यक्ति ने अपने गुरूजी से लिखने के लिए कलम और कागज़ माँगा गुरूजी ने ऐसा ही किया और उसे वो कलम और कागज़ देकर मानसी गंगा में स्नान करने चले गए जब गुरूजी स्नान करके आश्रम में आये तो पाया कि उस भक्त ने दीवार के सहारे लग कर अपना शरीर त्याग दिया था और उस कागज़ पर कुछ लिखा हुआ था……

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*”गुरूजी मैं यह बात पहले सिर्फ आपको ही बताना चाहता हूँ,आप कहते थे कि निधिवन में आज भी भगवान रास रचाने आते है और मैं आपकी बात पर विश्वास नहीं करता था, लेकिन जब मैं निधिवन में रूका तब मैंने साक्षात बाँके बिहारीजी को राधा रानी तथा गोपियों के साथ रास रचाते हुए दर्शन किया और अब मेरी जीने की कोई भी इच्छा नहीं है ,इस जीवन का जो लक्ष्य था वो मैंने प्राप्त कर लिया है और अब मैं जीकर करूँगा भी क्या…*


*श्याम सुन्दर की सुन्दरता के आगे ये दुनिया वालो की सुन्दरता कुछ भी नहीं है,इसलिए आपके श्री चरणों में मेरा अंतिम प्रणाम स्वीकार कीजिये”*।
वो पत्र जो उस भक्त ने अपने गुरु के लिए लिखा था वो आज भी मथुरा के सरकारी संग्रहालय में रखा हुआ है जो कि बंगाली भाषा में लिखा है

कहा जाता है निधिवन के सारी लताये गोपियाँ है जो एक दूसरे कि बाहों में बाहें डाले खड़ी है जब रात में निधिवन में राधा रानी जी, बिहारी जीके साथ रास लीला करती हैं तो वहाँ की लताये गोपियाँ बन जाती है, और फिर रास लीला आरंभ होती है,इस रास लीला को कोई नहीं देख सकता,दिन भर में हजारों बंदर, पक्षी,जीव जंतु निधिवन में रहते है पर जैसे ही शाम होती है,सभी  जीव-जंतु ,बंदर अपने आप निधिवन से चले जाते है यहाँ तक कि एक परिंदा भी वहाँ नहीं रुकता ना ही जमीन के अंदर के जीव चीटी आदि भी जमीन के अंदर चले जाते है। रास लीला को कोई नहीं देख सकता क्योकि रास लीला इस लौकिक जगत की लीला नहीं है रास तो अलौकिक जगत की *परम दिव्यातिदिव्य लीला* है कोई साधारण व्यक्ति या जीव अपनी आँखों कैसे देख सकता है।
कहते हैं आज भी निधिवन से राधा रानी और गोपियों के नुपुर की ध्वनि आती है।

*राम रक्षा स्तोत्र मंत्र*

*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*

 

 

 

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